Friday, April 22, 2011

भोपाल : परिवार नियोजन कार्यक्रम में मध्यप्रदेश को भारी सफलता


भोपाल: मध्यप्रदेश ने परिवार नियोजन कार्यक्रम के क्षेत्र में इस वर्ष पहली बार भारी सफलता हासिल की है। वर्ष 2010 को परिवार नियोजन वर्ष के रूप में मनाये जाने के परिणामस्वरूप इस कार्यक्रम ने एक जन-आंदोलन का रूप लेते हुए पिछले सभी उपलब्धियों को पीछे छोड़ दिया।


साढ़े छह लाख लोगों ने अपनाया परिवार नियोजन, चार संभाग और 27 जिलों ने सौ प्रतिशत से अधिक उपलब्धि हासिल की

राज्य में साढ़े छह लाख लोगों ने 31 मार्च, 2011 तक परिवार नियोजन कार्यक्रम को अपनाया। इस अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लोगों ने स्व-प्रेरणा और जागरूकता का परिचय दिया। तंत्र और जन के संयुक्त प्रयासों के कारण ही 57 वर्षों बाद प्रदेश को यह उपलब्धि मिली है। चार संभागों और 27 जिलों ने अपनी बेहतर प्रस्तुति देते हुए 100 प्रतिशत के लक्ष्य को भी पार कर दिया।

सफलता की कुंजी
  • मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की दृढ़ इच्छाशक्ति
  • उनके द्वारा वर्ष 2010 को परिवार नियोजन वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा
  • पहली बार जनसंख्या के अनुपात में परिवार नियोजन का लक्ष्य निर्धारित
  • लक्ष्य की पूर्ति के लिये मैदानी अमले का मासिक लक्ष्य पूर्ति का निर्धारण
  • हर पंद्रह दिन में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्य सचिव सहित स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों द्वारा प्रगति की समीक्षा
  • जिला कलेक्टरों द्वारा लक्ष्य पूर्ति पर आकर्षक इनामों की घोषणा
  • ए.एन.एम. से लेकर सचिव स्वास्थ्य तक की जवाबदेही तय की गई।
  • जनसंख्या नियंत्रण दिवस 11 जुलाई, 2010 से हर माह की 11 तारीख से 17 तारीख तक परिवार नियोजन सप्ताह का आयोजन
  • जनसंचार माध्ययमों के जरिये जागरूकता पैदा करने और गांव-गांव तक संदेश पहुंचाने के लिये प्रभावी प्रचार-प्रसार
  • बेहतर उपलब्धि पर पुरस्कार और लापरवाही पर दण्ड नीति ने मैदानी अमले में दायित्व बोध का होना
  • जिलेवार और ग्रामवार कार्ययोजना बनाई गई

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2010 को परिवार नियोजन वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश की जनसंख्या के अनुपात में सात लाख लोगों को परिवार नियोजन कार्यक्रम से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया था। हालांकि इस लक्ष्य से 50 हजार की दूरी रही लेकिन पिछले वर्षों के मुकाबले यह पहली बार हुआ कि प्रदेश में साढ़े छह लाख लोगों ने जागरूकता और स्व-प्रेरणा से इस कार्यक्रम को अपनाया। इस सफलता का मुख्य आधार स्वास्थ्य विभाग की प्रभावी रणनीति रही। इस रणनीति में मैदानी अमले को जहां एक ओर प्रोत्साहन देने के लिये पुरस्कार योजना लागू की गई, वहीं लापरवाही पर दण्ड का भी प्रावधान किया गया। सतत मॉनीटरिंग और मैदानी दौरों ने परिवार नियोजन कार्यक्रम को जन-आंदोलन बनाने में मदद की।
परिवार नियोजन कार्यक्रम में चार संभागों ने 100 प्रतिशत से अधिक उपलब्धि हासिल की। यह संभाग शहडोल (109.5), जबलपुर (104.9), उज्जैन (101.9) और इंदौर (101.1) हैं। इन संभागों के आयुक्त एवं संयुक्त संचालक स्वास्थ्य को विभाग की पुरस्कार नीति के तहत पुरस्कृत किया जायेगा। प्रदेश के 27 ऐसे जिले रहे हैं जिन्होंने 100 प्रतिशत या इससे अधिक की उपलब्धि परिवार नियोजन कार्यक्रम में हासिल की। ये जिले हैं डिण्डोरी (118.2), अनूपपुर (117.5), बुरहानपुर (116.1), मण्डला (107.3), छिन्दवाड़ा (106.3), झाबुआ (106.3), जबलपुर (105.4), कटनी (105.1), बालाघाट (104.5), रतलाम (104.2), उमरिया (103.8), धार (103.4), उज्जैन (103.1), सिवनी (103), नरसिंहपुर (102), नीमच (101.9), मंदसौर (101.8), पन्ना (101.7), शहडोल (101.2), सिंगरौली (100.8), अलीराजपुर (100.8), होशंगाबाद (100.4), शाजापुर (100.2), बड़वानी (100.1), इंदौर (100.1), देवास (100), शिवपुरी (100) शामिल हैं। प्रदेश के 23 ऐसे जिले हैं जिन्होंने 96 से लेकर 64 प्रतिशत से अधिक की उपलब्धि हासिल की है। मैदानी अमलों के प्रभावी क्रियान्वयन से परिवार नियोजन के क्षेत्र में इस वर्ष प्रदेश की उपलब्धि 92 प्रतिशत रही है।

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