Friday, May 27, 2011

गेहूँ खरीदी में कोताही: रायसेन में आठ समिति प्रभारी और प्रबंधकों पर गाज़, पुलिस में दर्ज होंगे आपराधिक मामले

भोपाल: समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी में कई स्थानों पर घपले की शिकायत के चलते जिला कलेक्टर चौकन्ने हो गये हैं। रायसेन में प्रशासन की बड़ी कार्रवाई की जद में आठ सहकारी समितियों के प्रभारी और प्रबंधक आ गये हैं।
इनके खिलाफ सरकार से धोखाधड़ी कर उसे आर्थिक नुकसान पहुँचाने के आरोप में भारतीय दण्ड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत पुलिस में मामले दर्ज करवाये जा रहे हैं।
प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी की उदार नीति अपनाते हुए यहाँ के वास्तविक किसानों से तयशुदा गुणवत्ता का गेहूँ खरीदने के व्यापक इंतजाम किये गये। शासन ने योजना का बेजा लाभ उठाने के लिये किसी व्यापारी, बिचौलिये या सीमावर्ती प्रदेशों के व्यक्तियों द्वारा प्रदेश में आकर गेहूँ खरीदने या बेचने पर निगाह रखी। इस निगरानी के तहत कुछ जगहों पर गेहूँ खरीद रही सहकारी समितियों द्वारा कोताही की भनक लगते ही प्रशासन फौरन सक्रिय होकर संबंधित ठिकानों पर छापे डाल रहा है।
गैरतगंज में 366 बोरे गेहूँ जप्त
रायसेन जिला प्रशासन ने गैरतगंज सेवा सहकारी समिति द्वारा खरीदा गया 366 बोरे घुन लगा पुराना गेहूँ जप्त किया है। इसे ट्रक में भरकर गोदाम के लिये रवाना किया जा रहा था। इसी तरह सेवा सहकारी समिति सिलवानी में छापे में पता लगा कि वहाँ किसानों की ऋण-पुस्तिका में खरीदी के ब्यौरे दर्ज ही नहीं किये जा रहे थे। औबेदुल्लागंज की विपणन सहकारी समिति खसरे में दर्ज भूमि के आकार के मुताबिक उत्पादित गेहूँ से ज्यादा मात्रा में गेहूँ खरीदते पाई गई और उसने ऋण-पुस्तिका की छाया प्रति भी रिकार्ड में रखना उचित नहीं समझा था।
सेवा सहकारी समिति सुल्तानपुर के बगासपुर खरीदी केन्द्र पर घटिया गेहूँ खरीदा जा रहा था। सेवा सहकारी समिति मण्डीदीप भी ज़मीन पर उत्पादित मात्रा से ज्यादा गेहूँ खरीद रही थी। औबेदुल्लागंज की एक अन्य समिति ने किसानों को भुगतान के बाद भी ऋण-पुस्तिका की छाया प्रति अपने रिकार्ड में नहीं रखी थी।
गेहूँ तौलने की माँगी कीमत
रायसेन जिले की सेवा सहकारी समिति नरवर के प्रबंधक ने तो दो कदम आगे जाकर गेहूँ तौलने के लिये ही न सिर्फ रिश्वत माँगी थी बल्कि किसानों को मारपीट की धमकी देने में भी कोई परहेज नहीं किया था। इस सिलसिले में हुई शिकायत में इसी समिति पर पैदावार से ज्यादा गेहूँ खरीदने और खरीदी का कोई दस्तावेज रिकार्ड में नहीं रखने की बात भी जाँच के दौरान सही निकली।
इसी तरह नकतरा समिति की जाँच में मालूम पड़ा कि उसने कोई 3,500 खाली बोरे अवैध रूप से किसानों को दे दिये। इस समिति ने जिन किसानों से गेहूँ खरीदा उन्हें खरीदी की तारीख से 10 दिन बाद भुगतान किया।

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