Monday, April 11, 2011

भोपाल: पहली बार चिकित्सा संस्थाओं में चिकित्सकों के पद निर्धारित (पहली बार)

भोपाल: मध्यप्रदेश में पहली बार अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या के आधार पर चिकित्सकों की संख्या निर्धारित की गई है। पदों का युक्तियुक्तकरण कर जिला, सिविल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सहित अन्य चिकित्सा संस्थाओं में कौन-कौन से कितने चिकित्सक रहेंगे। इस संबंध में संरचना तैयार की गई है।

जे.पी. चिकित्सालय को मिला विशेष दर्जा
तीन सौ बिस्तर के अस्पतालों को मिलेगे 47 डॉक्टर,
जे.पी. को मिलेंगे 66 डॉक्टर
राजधानी भोपाल के जिला जयप्रकाश नारायण अस्पताल को पदों के युक्तियुक्तकरण में विशेष दर्जा दिया गया है। इसके फलस्वरूप यहां आठ विशेषज्ञ तथा ग्यारह चिकित्सा अधिकारियों के अतिरिक्त पद होंगे। इन अतिरिक्त चिकित्सकों सहित 66 डॉक्टर जे.पी. अस्पताल में रहेंगे।
जिला अस्पतालों की बिस्तर संख्या के आधार पर तय किये गये चिकित्सकों की संख्या के अनुसार जे.पी. अस्पताल तीन सौ बिस्तर का है। जहां तीन विशेषज्ञ, पन्द्रह चिकित्सा अधिकारी तथा दो दंत शल्य चिकित्सक होंगे। इनमें तीन चिकित्सा विशेषज्ञ, दो शल्य क्रिया विशेषज्ञ, चार स्त्री रोग विशेषज्ञ, सात शिशु रोग विशेषज्ञ, दो निश्चेतना विशेषज्ञ, दो नेत्र रोग विशेषज्ञ, दो अस्थि रोग विशेषज्ञ, दो रेडियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ, दो पैथालॉजी विशेषज्ञ, दो नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ, एक दंत रोग विशेषज्ञ, एक क्षय रोग विशेषज्ञ, पन्द्रह चिकित्सा अधिकारी, दो दंत शल्य चिकित्सक एवं एक आयुष चिकित्सक के पद होंगे। इनके अतिरिक्त विशेष दर्जा प्राप्त होने के कारण जे.पी. अस्पताल में ग्यारह चिकित्सा अधिकारियों के अतिरिक्त पद तथा मेडिकल, शल्यक्रिया, निश्चेतना, नेत्र रोग, अस्थि रोग, रेडियोलॉजिस्ट, पैथालॉजिस्ट एवं नाक, कान, गले के एक-एक विशेषज्ञ के अतिरिक्त पद स्वीकृत किये गये हैं।

मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं और सूचकांक को बेहतर बनाने के लिये राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता के दृष्टिगत स्वास्थ्य विभाग ने अपने अधीनस्थ संस्थाओं की आवश्यकता के आधार पर पदों का पहली बार युक्तियुक्तकरण किया है। यह इसलिये उल्लेखनीय है कि इसके आधार पर चिकित्सा संस्थाओं में जो असंतुलित व्यवस्था होती थी वह समाप्त होगी। इसके साथ ही हर विधा का एक चिकित्सक अस्पतालों में उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित होगा। इस नयी संरचना से बिस्तर की संख्या के आधार पर चिकित्सकों की नियुक्ति से मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा और चिकित्सकों पर काम का दबाव भी कम रहेगा।
प्रदेश की 1833 चिकित्सा संस्थाओ में कौन-कौन से कितने डॉक्टर रहेंगे इसका युक्तियुक्तकरण कर जो आकलन किया गया उसके अनुसार सौ बिस्तर के जिला अस्पताल जिनमें अनूपपुर, अलीराजपुर, डिण्डौरी, हरदा, इंदौर, रीवा, उमरिया एवं श्योपुर शामिल हैं। यहां पर प्रत्येक जिला अस्पताल में बीस विशेषज्ञ, ग्यारह चिकित्सा अधिकारी एवं एक दंत शल्य चिकित्सक होंगे। कुल बत्तीस डॉक्टर प्रत्येक जिला अस्पताल में होंगे। चौदह ऐसे जिला अस्पताल चिन्हित किये गये जिनकी बिस्तर संख्या 200 है। ये जिले बुरहानपुर, दतिया, ग्वालियर, झाबुआ, कटनी, नरसिंहपुर, नीमच, पन्ना, रायसेन, सीहोर, शाजापुर, सीधी, सिंगरौली एवं टीकमगढ़ हैं। इन जिलों के जिला अस्पताल में बाइस विशेषज्ञ, तेरह चिकित्सा अधिकारी तथा एक दंत शल्य चिकित्सक होगा। इस तरह कुल 36 डॉक्टर यहां होंगे।
बालाघाट, बड़वानी, बैतूल, भिण्ड, भोपाल, छतरपुर, दमोह, धार, होशंगाबाद, खरगौन, मण्डला, मुरैना, राजगढ़, सागर, शहडोल, शिवपुरी एवं विदिशा जिलों के जिला अस्पताल के बिस्तरों की संख्या तीन सौ है। इन अस्पतालों में तीस विशेषज्ञ, पन्द्रह चिकित्सा अधिकारी एवं दो दंत शल्य चिकित्सक होंगे। जिनकी संख्या कुल 47 होगी। छह जिला अस्पताल गुना, सिवनी, सतना, खण्डवा, देवास और छिन्दवाड़ा जहां की बिस्तरों की संख्या 400 है वहां 32 विशेषज्ञ, 19 चिकित्सा अधिकारी तथा 3 दंत शल्य चिकित्सक निर्धारित किये गये हैं। पांच सौ बिस्तर के तीन अस्पताल रतलाम, मंदसौर और जबलपुर में हैं जहां 39 विशेषज्ञ, 23 चिकित्सा अधिकारी एवं पांच दंत शल्य चिकित्सक होंगे। कुल 67 डॉक्टरों का अमला इन अस्पतालों में होगा। सात सौ बिस्तरों का एकमात्र जिला अस्पताल उज्जैन में है जहां 43 विशेषज्ञ, 27 चिकित्सा अधिकारी एवं छह दंत शल्य चिकित्सक होंगे, कुल 76 डॉक्टर यहां काम करेंगे। यह संख्या प्रत्येक जिला अस्पताल में है
उज्जैन एकमात्र जिला

प्रदेश में महाकाल नगरी उज्जैन एकमात्र ऐसा जिला है जहां का जिला अस्पताल 700 बिस्तरों का है। इसके अलावा प्रदेश में 100, 200, 300, 400 और 500 बिस्तरों के अस्पताल हैं।
सिविल अस्पतालों मे बिस्तर संख्या के आधार पर चिकित्सकों की संख्या भी निर्धारित की गई है। सौ बिस्तर एवं उससे अधिक अठारह सिविल अस्पताल चिन्हित किये गये हैं जहां तेरह विशेषज्ञ, सात चिकित्सा अधिकारी एवं एक दंत शल्य चिकित्सक होगा। पचास बिस्तर से अधिक सौ बिस्तर से कम सोलह सिविल अस्पतालों में पांच विशेषज्ञ, पांच चिकित्सा अधिकारी तथा एक दंत शल्य चिकित्सक होगा। बीस बिस्तर से अधिक एवं पचास बिस्तर से कम चौदह सिविल अस्पतालों में चार विशेषज्ञ, तीन चिकित्सा अधिकारी तथा एक दंत शल्य चिकित्सक होगा। छह से बीस बिस्तर तक वाले सिविल अस्पताल जो कि आठ हैं उनमें दो चिकित्सा अधिकारी रहेंगे।
फैक्ट फाइल
चिकित्सकों के पदों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में जिले से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टरों की गणना का निर्धारण किया गया है।
मध्यप्रदेश में जिला अस्पताल सौ बिस्तर के नौ, दो सौ बिस्तर के चौदह, तीन सौ बिस्तर के सत्रह, चार सौ बिस्तर के छह, पांच सौ बिस्तर के तीन, सात सौ बिस्तर का एक जिला अस्पताल है। इसी तरह सिविल अस्पताल में बिस्तरों की गणना के अनुसार पचास बिस्तर से अधिक एवं सौ बिस्तर से कम सोलह, बीस बिस्तर से अधिक पचास बिस्तर से कम चौदह, छह बिस्तर से बीस बिस्तर तक के आठ सिविल अस्पताल हैं।
प्रदेश में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जो सीमॉक संस्था (स्त्री रोग, शिशु रोग एवं निश्चेतना विशेषज्ञ जहों हों) हैं उनकी संख्या 79 है जबकि 164 ऐसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं जो सीमॉक नहीं हैं। शहरी क्षेत्रों में सिविल डिस्पेंसरी 92 है एवं परिवार कल्याण केन्द्र अस्सी हैं। छह पॉलीक्लीनिक तथा ग्यारह रोग निदान केन्द्र हैं। इसके अलावा जिला चिकित्सालयों एवं अन्य में ट्रामा सह आकस्मिक चिकित्सा सेवा संस्था की संख्या पचास है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कितने चिकित्सक होंगे इसका भी निर्धारण किया गया है। ऐसे 79 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जो सीमॉक (स्त्री, शिशु एवं निश्चेतना का एक-एक चिकित्सक) संस्था हैं वहां पांच विशेषज्ञ एवं तीन चिकित्सा अधिकारी होंगे। 254 ऐसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जो सीमॉक नहीं हैं वहां तीन विशेषज्ञ एवं दो चिकित्सा अधिकारी होंगे। चार सौ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जो बीमॉक (एक मेडिकल आफीसर, डिलेवरी की सुविधा तथा ए.एन.एम.) संस्था है वहां दो तथा 755 ऐसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जो बीमॉक संस्था नहीं हैं वहां एक चिकित्सा अधिकारी होगा। शहरी क्षेत्रों में स्थापित 92 डिस्पेंसरी में एवं अस्सी शहरी परिवार कल्याण केन्द्रों में एक चिकित्सा अधिकारी होगा। आठ ट्रामा सेंटर सह आकस्मिक चिकित्सा सेवा जो उज्जैन, शहडोल, सिवनी, सागर, नरसिंहपुर, शिवपुरी, गुना एवं रतलाम में तीन विशेषज्ञों के एवं पांच चिकित्सा अधिकारी के पद होंगे। शेष बयालिस ट्रामा सेंटर सह आकस्मिक चिकित्सा सेवा जो भी सभी जिला चिकित्सालयों में है वहां अतिरिक्त तीन विशेषज्ञ तथा पांच चिकित्सा अधिकारियों की पदस्थापना होगी। प्रदेश के छह पॉलीक्लीनिक में छह तथा ग्यारह रोग निदान केन्द्रों में प्रत्येक में दो विशेषज्ञ एवं दो चिकित्सा अधिकारी के पद होंगे।

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