Thursday, February 24, 2011

भोपाल: फिर नहीं बन पाई नेता प्रतिपक्ष पर आमराय,सोनिया करेंगी फैसला

भोपाल. नेता प्रतिपक्ष के लिए करीब पांच घंटे तक चली रायशुमारी में आधे से अधिक विधायकों ने पसंद जताने की बजाय फैसला कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ दिया। शेष विधायक इस पद के दो प्रबल दावेदार अजय सिंह और चौधरी राकेशसिंह चतुर्वेदी के बीच बंट गए।

ऐसे में प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महामंत्री बीके हरिप्रसाद और पर्यवेक्षक के तौर पर आए केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक को नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा का इरादा छोड़ना पड़ा।

इसके पूर्व प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सुबह आठ बजे से रायशुमारी का दौर चला। हरिप्रसाद और वासनिक ने बंद कमरे में एक-एक विधायक से चर्चा की। उन्हें एक फॉर्म दिया गया था, जिसमें विधायकों को अपने नाम, विधानसभा क्षेत्र के साथ नेता प्रतिपक्ष के लिए अपनी पसंद बतानी थी।

पौने 11 बजे तक 42 विधायक अपनी राय दर्ज करा चुके थे। इस बीच एनपी प्रजापति और प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी के बीच काफी देर तक एकांत में चर्चा हुई। सवा ग्यारह बजे चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी और अजय सिंह विधानसभा के लिए रवाना हो गए। उन्हें वहां स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत करना था। पौने बारह बजे तक सभी विधायक अपनी पसंद दर्ज करा चुके थे।

चलता रहा लॉबिंग का सिलसिला

रायशुमारी में भाग लेने वाले 64 में से 30 से अधिक विधायकों ने फैसला हाईकमान पर छोड़ने की राय दी। सूत्र बताते हैं कि सिंधिया गुट से वरिष्ठता के आधार पर दावेदारी कर रहे महेंद्रसिंह कालूखेड़ा और कमलनाथ गुट से दावेदार कल्पना परुलेकर सहित दोनों गुटों के ज्यादातर विधायकों ने फैसला आलाकमान पर छोड़ने की राय व्यक्त की।

रात में ही इन दोनों गुटों ने यह रणनीति तय की थी। दिग्विजय सिंह गुट ने एकतरफा अजय सिंह के पक्ष में राय दी। गोविंद सिंह ने खुले तौर पर बताया कि उन्होंने हरे पेन से फॉर्म भरा है और अजय सिंह को अपनी पसंद बताया है।

रायशुमारी में सुरेश पचौरी गुट चौधरी राकेशसिंह चतुर्वेदी के पक्ष में लॉबिंग करता नजर आ रहा था। लेकिन बाद में हाईकमान पर फैसला छोड़ने पर सहमति बनी।

जब हरिप्रसाद और वासनिक ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर पचौरी से उनकी राय पूछी तो उन्होंने भी परंपरा का हवाला देते हुए फैसला कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ने की बात कही।

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